आज के समय में भारत एक सुपरपावर बनने के तरफ अग्रसर हो रहा है लेकिन भारत देश का आगे बढना कुछ चुनिंदा लोगों को पसंद नहीं आ रहा है और इस बात को सबूत इस बात से मिलता है कि जब कमला हैरिस को अमेरिका का उपराष्ट्रपति चुना गया तो उन्होने भारत के खिलाफ बयान देते हुये कहा था कि भारत को लोकतंत्र बनाये रखने कि जरुरत है। बीते कुछ सालों में दुनिया के अलग-अलग कोने से भारत के खिलाफ ऐजेंडा चलाया जा रहा है और इस ऐजेंडा के अंतर्गत भारत को अंतर्राष्ट्रीय तौर पर बदनाम करने कि कोशिश कि जा रही है।
हम सभी एक कहावत से वाकिफ होगें, कि “ घर का भेदी लंका ठहाये” विदेशी मीडिया भारत को
अलग-अलग मुद्दों पर घेरने और बदनाम करने के जद्दोजेह्द में जुटी हुयी है और इस तरह
कि खबर को हवा देने का काम भारत के आला अधिकारी ही करते है। हम आपसे ये नहीं कह
रहे कि आप भारत का या भारतीय सरकार आलोचना नहीं कर सकते है लेकिन अगर आप अपने देश
कि सम्मान में कुछ नहीं सकते है तो बदनाम करने का हक आपको बिल्कुल भी नहीं है, लेकिन
राहुल गांधी इस बात को समझने के लिये तैयार नहीं थे और हाल के समय में राहुल गांधी
ने जहां भी विदेशी दौरा किया है। हर उस जगह पर राहुल गांधी ने केंद्र सरकार कि
जमकर आलोचना कि थी, और क्योंकि भारत एक लोकतांत्रीक देश है, ऐसे में सरकार कि
आलोचना करना देश कि जनता का उनकी चुनाव कि आलोचना है और राहुल गांधी कि इस तरह कि
हरकत विदेशी मीडिया को अपनी आवाज
बुलंद करने का मौका देता है और भारत के
खिलाफ चल रहे ऐजेंडा को मजबूत बनाता है ।
खैर ये बात हो गयी विभीषण कि, लेकिन जब से युक्रेन और रुस को युद्ध शुरु हुआ
है और यूएनएससी में भारत के
रुख के बाद विदेशी मीडिया भारत के पीछे ही
पड गयी है और हम मुमकिन मौके पर भारत और भारतीय सरकार को बदनाम करने के लिये किसी भी
स्तर तक गिर रही है। जिसके बाद विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने बयान दिया था कि यूरोपीय
देश इस मानसिकता के साथ आगे बढी है कि उनकि दिक्कतें पुरी दुनिया कि दिक्कत है,
जबकि दुनिया दिक्कत से उन्हें कुछ लेना देना नहीं है और कहीं ना कहीं इस बात में
सच्चाई भी है।
इससे पहले भी जब भी भारत में कोई मुद्दा सामने आया है, तब-तब हमने देखा है कि
कोई-ना-कोई उठकर आता है और भारत के खिलाफ ट्विट करके अंतर्राष्ट्रीय मंच पर भारत कि इमेज को बिगाडने कि
कोशिश करता रहा है।
साल 2022 किसान आंदोलन के दौरान कई विदेशी बडी हस्तीयों ने भारत के खिलाफ ट्विट
किया था, अमेरिकन पॉप गायक रिहाना और ग्रेटा थुनबर्ग जैसे लोंगो ने भी ट्विट करके विदेशी
ऐजेंडा का हवा दिया था।
विदेशी मीडिया कि भारत को
बदनाम करने के कोशिश में आज से नहीं
लगी है, पिछले कुछ सालों में ये काफी तेज हुआ है और इसका प्राइम उदाहरण है
हिंडनबर्ग कि रिपोर्ट जिसके बाद गौतम अडानी कि कंपनी को काफी नुकसान झेलना पडा था
और इस रिपोर्ट के आने से कुछ समय पहले ही गौतम अडानी दुनिया के रईस इंसानो के
लिस्ट में टॉप पर आये ही थे। हिंडनबर्ग कि रिपोर्ट में जिन बातों का खुलासा किया गया
था, बाद में वो सभी दावे झूठे निकले थे और एक बार फिर ये साबित हो गया कि विदेशी मीडिया भारत और भारतीय जनता से ना-ही खुश और ना-ही
भारतीयों को खुश देखना चाहती है।
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