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दिसंबर, 2020 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

मणिपुर में हिंसा थम नहीं रहा है

  मणिपुर में हिंसा थम नहीं रहा है और हिंसाग्रस्त मणिपुर के उपचार को मद्देनजर रखते हुए भारत के मुख्य न्यायाधीश(सीजेआई) डी.वाई.चंद्रचूड़ ने 7 अगस्त , 2023 को खुली अदालत में यह घोषणा कि सुप्रीम कोर्ट राहत कार्यों , पुनर्वास , मुआवजे और निगरानी के लिए उच्च न्यायालय के तीन पूर्व न्यायाधीशों जस्टिस गीता मित्तल , शालिनी फणसलकर जोशी और आशा मेनन की एक महिला समिति नियुक्त करेगा। न्यायमूर्ति मित्तल जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालय की पूर्व मुख्य न्यायाधीश हैं। न्यायमूर्ति जोशी बॉम्बे उच्च न्यायालय की पूर्व न्यायाधीश हैं और न्यायमूर्ति मेनन दिल्ली उच्च न्यायालय की सेवानिवृत्त न्यायाधीश हैं। शीर्ष अदालत ने इस ओर भी इशारा किया कि वह हिंसा के दौरान दर्ज मामलों की समग्र जांच की निगरानी के लिए महाराष्ट्र कैडर के वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी दत्तात्रय पडसलगीकर को नियुक्त करेगी , जिन्होंने एनआईए , आईबी और नागालैंड में काम किया था। मणिपुर में मई से जुलाई तक 6,500 से अधिक एफआईआर दर्ज की गई हैं। मणिपुर सरकार ने कहा कि वह मामलों की जांच के लिए 42 एसआईटी का गठन करेगी। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह छह अन्य राज

नागरिकता संशोधन बिल

नागरिकता संशोधन बिल- 2019 संजीदगीयों से भरा देश भारत जहां धर्म राष्ट्रीय मुद्दा बन जाता है लेकिन नागरिकता संशोधन विधेयक , जो भारत को सबसे बड़ी लोकतांत्रिक देश के नाम पर धब्बे के तौर पर साबित होगी। ये सिर्फ विपक्ष को या फिर उत्तर-पूर्व राज्यों को हि समझ आ रही है। केंद्र सरकार ने नागरिकता संशोधन अधिनियम को लोक सभा और राज्य सभा दोनों सदनों से बहुमत    के साथ पारित करवाया है। गृह मंत्री अमित शाह आजकल प्रधानमंत्री मोदी से भी ज्यादा सुर्खियां बटोर रहे है। परिचय   के बाद अब मुद्दा पर आते है-नागरिकता संशोधन विधेयक पर पुरे देश में बवाल काट रहा है , अगर इसे संक्षिप्त या सरल भाषा मे कहना हो तो कहेगें कि मुस्लिम को छोडकर हर किसी धर्म या जाति को भारत कि नागरिकता मिलेगी या फिर भारत हिन्दू राष्ट्र बनने वाला है। इत्तेफाक देखिये , जिन्नाह पाकिस्तान को इस्लामिक राष्ट्र बनाना चाहते थे और भारत को हिन्दू राष्ट्र बनाना संघ का सपना है।  लोकसभा से नागरिकता संशोधन विधेयक हो चुका है पारित नागरिकता संशोधन विधेयक पारित होने के दोनों सपनों को पंख लगते नजर आ रहे है। गृह मंत्री अमित शाह का कहना है कि इससे भारतीय

मोटर वाहन अधिनियम 2019

  भारत सरकार या भाजपा सरकार जिस भी योजना को जनता के बीच या फिर जनता के सामने लाती है। उसको एक बज के साथ लाती है, जिसका एक अलग हि माहौल बन जाता है जैसे जनधन योजना, नमामि गंगे या फिर चालान का नया अवतार। जिस तरह से भारत सरकार ने चालान के नये अवतार को लोग के बीच में पेश किया है। उससे लोग सदमे में है और सरकार से पुछ रहे है कि क्या ये सही तरीका है। भारतीय ट्रैफिक व्यवस्था को नया आयाम देने कि लिए भारतीय सरकार ने चालान दरों मे बदलाव किये है। इससे जनता बिल्कुल भी संतुष्ट नही है, हालांकि लोग को य़े समझते देर नही लगी कि ये नये नियम उनके हित के लिए बनाये गये है।   अभी तक भारतीय सरकार सिर्फ पोस्टरों और प्रचार के द्वारा हि जनता तक अपनी बात पहुंचा रही थी। केंद्रीय पार्टी भाजपा ने डिजिटल भारत को भी इसी के साथ बढावा दिया है। चालान अब ऑन-लाईन हो गयी है और आप अपने चालान के बारे मे सरकारी वेबसाइट echallan.parivahan.gov.in पर जाकर जानकारी ले सकते है या पा सकते है। सरकार पुरी पारदर्शिता के साथ-साथ करप्शन रोकने कि नाकाम कोशिश भी कर रही है। हाल हि में चालान कि कुछ खास तस्वीरें सामने आयी है, जब लोग को चा

विलुप्त होती यमुना

एक तरफ यमुना नदी भी सरस्वती नदी कि तरह अपनी अस्तित्व खोने के कगार पर है। जिसके स्वच्छता और बचाव के लिए दिल्ली सरकार ने यमुना नदी में मूर्ति   विसर्जन  को बैन कर दिया है। कुछ समय पहले तक जिस नदी कि अस्तित्व को ही खतरा था अचानक आज यमुना नदी पुरी दिल्ली के लिए खतरा बन चुकी थी। तीन राज्यों में बहने वाली यमुना नदी खतरे कि निशानी से आगे बढ चुकी थी या युं कहे कि यमुना नदी में पानी बढने से बाढ जैसे हालात हो गये थे। आज इस घटना के बाद यमुना नदी मानो पुछ रही हो कौन है जिम्मेदार मेरे इस हालत का। यमुना नदी हरियाणा और उत्तर प्रदेश के किसानों के लिए जीवन दायनी थी , लेकिन समय के हालत बद से बदतर हो गया यमुना पहले नदी से नाले में और फिर नाले से सुखे रेत में तब्दील हो गयी। यमुना नदी को लेकर नयी खबर आयी है कि दिल्ली में अब मूर्ति विसर्जन यमुना नदी में नहीं होगी। भारत देश जहां आस्था और धर्म को लोग अपनी पहचान कि तरह मानते है और ऐसे में ये खबर श्रद्धालुओं के लिए चिंताजनक है। दिल्ली सरकार और राष्ट्रीय हरित अधिकरण ( NGT-National Green Tribunal) ने यमुना को स्वच्छ रखने के लिए ये कदम उठाया है। यमुना में मू

बैंगलोर दंगा 2020

 देश में इतनी हलचल शायद ही कभी भारत या फिर किसी भी एक देश में मची होगी, आज भारत और पुरी दुनिया कोरोना से लड रही है। लेकिन देश मे इस कोरोना काल में या फिर हाल के कुछ महिनो मे भारत देश जाहिल पन से भी लड रहा है, जैसे मे लॉकडाउन के शुरुआत में तबलिगी जमात से हुयी गलती और इसके अलावा पालघर के साधुओं की बेरहमी से हत्या और इसके अलावा बैंगलोर दंगा। आप इन तरह के घटनायें को एक जाहिल पन कह सकते है क्योंकि हाल के दिनो मे व्यतीत ये घटनायें जाहिल पन को ही दर्शाते है। तो, आज बात करेंगे हाल मे हुए सबसे बडे जाहिलियत कि मतलब बैंगलोर दंगा के बारे में।  कहने के लिए तो भारत एक धर्म-निरपेक्ष देश है लेकिन इस देश में दंगा लोगो के लिए आम बात हैं, कुछ ही साल पहले पश्चिम बंगाल के एक जिले 24 परगना में भी कुछ ऐसा ही दंगा हुआ था। जैसा की हाल ही  बैंगलोर में हुआ है, हाल ही मे एक फेसबुक पोस्ट के बाद बैंगलोर में दंगा भड़क उठा  और ऐसा ही कुछ मिलता-जुलता ही दंगा या फिर ये कहें की ऐसा ही कुछ मिलता-जुलता घटना पश्चिम बंगाल मे भी हुआ था। लेकिन बैंगलोर में दंगा होना कोई इत्तेफाक नही बल्कि एक सोची,समझी और पुर्व नियोजित साजिश थी