यमुना
नदी हरियाणा और उत्तर प्रदेश के किसानों के लिए जीवन दायनी थी, लेकिन
समय के हालत बद से बदतर हो गया यमुना पहले नदी से नाले में और फिर नाले से सुखे रेत
में तब्दील हो गयी।
यमुना
नदी को लेकर नयी खबर आयी है कि दिल्ली में अब मूर्ति विसर्जन यमुना नदी में नहीं होगी।
भारत देश जहां आस्था और धर्म को लोग अपनी पहचान कि तरह मानते है और ऐसे में ये खबर
श्रद्धालुओं के लिए चिंताजनक है। दिल्ली सरकार और राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT-National
Green Tribunal) ने
यमुना को स्वच्छ रखने के लिए ये कदम उठाया है। यमुना में मूर्ति विसर्जन के बैन के
बाद श्रद्धालु निराश है, साथ में हि एक जिम्मेदार
नागरिक होने के नाते वो इस फैसले का सम्मान भी कर रहे है। आई.टी.ओ(ITO) स्थित
यमुना घाट पर सरकार ने सी.आर.पी.एफ(CRPF) के जवानों को मुस्तैद किया
है कि जो कोई भी श्रद्धालु यहां पे मूर्ति विसर्जन के लिए आता है उन्हें निराश होकर
वापस जाना पड रहा है। केजरीवाल सरकार ने मूर्ति विसर्जन के लिए पुरे दिल्ली में करीब
130 छोटे-छोटे तालाब बनाये गये। DPCC(Delhi
Pollution Control Committee) कि रिपोर्ट की मानें तो प्रत्येक साल यमुना नदी में अलग-अलग जगहों
से 2500-3000 मूर्तियां विसर्जित होती है, जिसके बाद नदी में अमोनिया
कि मात्रा बढ जाती है। यमुना को बचाने और स्वच्छ रखने के लिए उत्तर प्रदेश के आगरा
शहर में समाजसेवियों ने एक अनोखा तरीका अपनाया है। गंदगी फैलाने वाले पर गुलेल से वार
किया जाता है, लेकिन गुलेल में पत्थर कि जगह गेंदे को फूल
रखकर वार करते है। इस
पहल का असर भी दिखा है, गंदगी और गंदगी करने वालो में काफी कमी आयी है। दिल्ली
सरकार कि यमुना को स्वच्छ रखने की कोशिश सराहनीय है और हम नागरिकों को भी इस पहल के
साथ जुड कर अपनी योगदान देनी चाहिए।
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