अपने विद्यालय के समय में किसी ने भी विज्ञान कि क्लास में ध्यान दिया है? मैंने दिया है लेकिन ज्यादा नहीं,कुछ समय पहले किसी तरह से विज्ञान के द्वारा एक सच्चाई मुझे पता चली और अब मैं इसे मानता भी हूं।
यकीन कीजिये मैं बुरे से बुरे हालात में भी बेहतर करने कि कोशिश कर रहा हूं, मैं एक सड़क दुर्घटना में पूरी तरह से टूट गया था और मै पूरे दस मिनट तक बेहोश रहा था, ये ऐसा वक्त था आप जिंदा भी रहते हुए मृत्य के समान होते है और आपको जीते-जी मौत का अहसास होता है। इस वक्त मुझे बाद में यह अहसास हुआ कि यादें काफी अद्भुत चीज है इस पल मुझे ऐसा महसुस हो रहा था कि मैं खाई के गर्त में जा रहा हूं और आप उस पल में खो जाते है जिसे लोग मौत कहते है।एक
बात
तो
तय
है
कि
जब
मैं
मरूंगा
तो
मुझे
ये
यकीन
है
कि
ये
मेरे
लिये
कुछ
इसी
तरह
का
झटका
होगा
क्योंकि
मौत
में
दर्द
नहीं
होता
है।
मैं
पास-आउट
हो
जाउंगा
और
मुझे
कुछ
पता
भी
नहीं
चलेगा, ये
ठीक
ऐसा
ही
है
जैसे
आप
क्रिकेट
में
बॉल
को
मिस
कर
देते
है
और
बॉल
आपका
विकेट
गिरा
जाता
है।
हालांकि
इस
में
आपको
बॉल
रोकने
का
मौका
नहीं
मिलता
है, कुछ
वक्त
के
बाद
मैं
कुछ
भी
महसुस
नहीं
करूंगा
बिल्कुल
ही
सन्नाटा
और
ये
सोच
कर
कुछ
गलत
भी
नहीं
लगता
है
क्युकी
मृत्यु
एक
चिरंतन
सत्य
है
और
चाह
कर
भी
इससे
बच
नहीं
सकते
आपको
जीवन
का
अनजाम
पहले
से
हि
पता
होता
है।
हम
सभी
मौत
कि
बेहद
ही
लोकप्रिय
झूठी
कहानियों
को
अपने
भीतर
बसाये
अपने
अंदर
कि
नकारात्मकता
को
शांत
करने
के
लिए
बनाया
गया
था
लेकिन
इसमे
किसी
भी
प्रकार
कि
सच्चाई
नहीं
है।
ग़ालिब
का
एक
शेर
है
कि
हमको
मालूम
है
जन्नत
की
हकीकत
लेकिन
दिल
के
खुश
रखने
को
“ग़ालिब”
यह
ख्याल
अच्छा
है।
और
शायद
ये
कहानियां
इसी
बात
को
बयान
करती
है।
चलिये
मौत
के
बाद
कि
बात
करते
है, जिनके
कोई
मायने
भी
होंगे।
दुनिया मेरे बिना कैसी होगी
मेरे
ये
कहने
चाहता
हूं
कि
मुझे
ऐसा
लगता
है
कि
मैं
इस
समय
पूरे
ब्रह्मांड
का
केंद्र
बना
हुआ
हूं
और
अगर
मैं
अचानक
से
मिट
गया
या
खत्म
हो
गया
तो
इस
दुनिया
का
क्या
होगा
और
कौन
होगा
इसे
बचाने
वाला? हालांकि
की
इस
बात
का
कोई
मतलब
नहीं
बनता
है, इस
बात
के
लिए
मैं
माफी
चाहता
हूं
लेकिन
यकीन
रखिये
आप
के
जाने
के
बाद
ये
दुनिया
बिल्कुल
ही
सामान्य
होगी।
एक
दिन
हम
सभी
तस्वीर
में
कैद
एक
याद
बनकर
रह
जायेंगे, याद
जो
अपने
घर
के
फेंस
पर
स्थापित
हो
और
हम
सभी
कि
अस्तित्व ek वक्त
के
बाद
बस
तस्वीर
तक
ही
रह
जायेगी।
और
फिर
उसके
बाद
किसी
दिन
फोटो
एलबम
भी
किसी
बक्से
में
बंद
हो
जाएगा
या
फिर
कुछ
समय
बाद
आपकी
आखिरी
बची
हुई
फोटो
या
ये
कहें
कि
बचे
हुए
अस्तित्व
को
कूड़ेदान
में
फेंक
दी
जाएगी
और
ये
कितना
दुर्भाग्यपूर्ण
है।
लेकिन डिजिटल कॉपी का क्या होगा
हां
ये
भी
सवाल
है
क्योंकि
हमारी
फोटो
ड्राइव
में
भी
उपलब्ध
होंगे
लेकिन
उन्हें
भी
एक
ड्रॉपबॉक्स
फ़ोल्डर
में
रखा
जा
रहा
होगा
जिसके
लिए
अब
भुगतान
नहीं
किया
जाता
होगा
और
ड्रॉपबॉक्स
इसे
अपने-आप
से
हि
ट्रैश
में
डाल
देगा
या
ये
कहे
कि
डिजिटल
डस्टबीन
में
डाल
देगा।
ये
भी
संभावना
है
कि
आने
वाले
समय
में
ड्रॉपबॉक्स
अब
और
भी
मौजूद
होगा
या
नहीं
है।
सामान
स्टोर
करने
का
कुछ
नया
तरीका
होगा
जिसकी
हम
अभी
कल्पना
भी
नहीं
कर
सकते।
और
इसलिए
यह
सच
है, स्टोरेज
के
उस
नए
रूप
में, आपकी
कुछ
बची
हुई
फोटो
उपलब्ध
हो
सकती
है
लेकिन
एक
धुंधले
रुप
में।
इस
दुनिया
में
एक
वक्त
के
बाद
अपनों
के
लिए
हम
याद
बन
जाएंगे
लेकिन
ये
बात
सोचकर
भी
हम
शांत
हो
जाते
है
कि
संसार
का
यहि
रीत
है।
जिसने
जन्म
लिया
है
उसकी
मृत्यु
भी
तय
है, एक
कहावत
है
कि 'मंज़िल
तो
तेरी
यही
थी, बस
ज़िन्दगी
गुज़र
गयी
आते
आते'। मृत्यु
के
बाद
हम
सभी
एक
बार
वही
मिलेंगे
जहां
हर
कोई
मरने
के
बाद
जाता
है, हालांकि
लोगों
ने
इसे
भी
जन्नत
और
जहन्नुम
में
बांट
दिया
है
।
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