सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

मणिपुर में हिंसा थम नहीं रहा है

  मणिपुर में हिंसा थम नहीं रहा है और हिंसाग्रस्त मणिपुर के उपचार को मद्देनजर रखते हुए भारत के मुख्य न्यायाधीश(सीजेआई) डी.वाई.चंद्रचूड़ ने 7 अगस्त , 2023 को खुली अदालत में यह घोषणा कि सुप्रीम कोर्ट राहत कार्यों , पुनर्वास , मुआवजे और निगरानी के लिए उच्च न्यायालय के तीन पूर्व न्यायाधीशों जस्टिस गीता मित्तल , शालिनी फणसलकर जोशी और आशा मेनन की एक महिला समिति नियुक्त करेगा। न्यायमूर्ति मित्तल जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालय की पूर्व मुख्य न्यायाधीश हैं। न्यायमूर्ति जोशी बॉम्बे उच्च न्यायालय की पूर्व न्यायाधीश हैं और न्यायमूर्ति मेनन दिल्ली उच्च न्यायालय की सेवानिवृत्त न्यायाधीश हैं। शीर्ष अदालत ने इस ओर भी इशारा किया कि वह हिंसा के दौरान दर्ज मामलों की समग्र जांच की निगरानी के लिए महाराष्ट्र कैडर के वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी दत्तात्रय पडसलगीकर को नियुक्त करेगी , जिन्होंने एनआईए , आईबी और नागालैंड में काम किया था। मणिपुर में मई से जुलाई तक 6,500 से अधिक एफआईआर दर्ज की गई हैं। मणिपुर सरकार ने कहा कि वह मामलों की जांच के लिए 42 एसआईटी का गठन करेगी। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह छह अन्य...

तलाक एक पाप

 

मेरे माता-पिता ने 90 के दशक में तलाक ले लिया था, जब उन्होंने लोगों को तलाक के बारे में बताना शुरू किया कि मेरे पिताजी ने मुझे बैठाया और मुझे सख्त हिदायत दिया कि "अपनी दादी को मत बताना"


मेरे अति-धार्मिक, सामाजिक और रूढ़िवादी पारिवार में तलाक एक पाप की तरह माना जाता है मुझे आजतक समझ में नहीं आया कि लोग इसे पाप क्यु समझाते है या फिर इसे पाप समझने की क्या वजह तलाक ऐसा लगता है सामाजिक वहिष्कार हो रहा है लेकिन ऐसा होने या करने कि वजह, ये आज भी सवाल है
जबकि मेरी बुआ, मेरे पिताजी की छोटी बहन ने सबसे पहले जाकर परिवार में सबसे पहला तलाक दायर किया था-कुछ साल पहले ही तब उनका कोई बच्चा नहीं थामेरे परिवार का ये पहला तलाक था, मुझे ज्यादा याद तो नहीं लेकिन उम्मीद है कि घर पर हंगामा तो हुआ ही होगा
मेरे परिवार की रूढ़ीवादी सोच के अनुसार तलाक एक गलत निर्णय लेकिन अगर आपके बच्चे है और आप तलाक लेते है तो ये शर्म कि बात है, मेरे पिताजी ने हर उस वक्त नाटक किया जब दादी का फोन आता था परिवार का वर्चस्व कि वजह से पिता कभी बता नहीं पाये कि उन्होंने तलाक ले लिया है, मुझे ये तो नहीं पता कि पिता जी ये शर्म कि वजह से या डर कि वजह से बता नहीं पाए लेकिन माँ के घर पर ना होने कि वजह को उन्होंने मृत्यु को बताया था.
इस बात को से बीस साल हो गए हैं, लेकिन जब तलाक कि सार्वजनिक हुई तो मैंने देखा कि कुछ पुरानी धारणाएं अभी भी समाज में मौजूद हैं और सवाल ये था कि समय हरेक चीज को बेहतर कर देता तो आज भी लोगों के नजर में तलाक एक सवाल क्यु बना हुआ था लोग मेरे पिता को सवालिया नजर से देखते थे, मानो तलाक एक मर्डर जैसा संगीन जुर्म है और समाज जुबान से नहीं नजरों से वहिष्कार कर रहा था

जब मेरे पिताजी मुझसे मिलने डेकेयर में आये तो वहां पहले से ही कई सारी औरत  बैठी हुई थी, मेरे पिताजी ने मुझे बुलाया तो सभी औरत उनके तरफ देखने लगी, मेरे पिताजी ने उनसे बात करने की कोशिश कि तो उनका प्रतिक्रिया अवॉइड करने वाला था जो ये बता रहा था कि वो बातचीत में रूचिकर नहीं हैजो कि साफ तौर पर ये साबित कर रहा था कि जिस व्यक्ति उन्होंने देखा है वो एक तलाकशुदा  इंसान है
कभी-कभी मुझे ऐसा लगता है कि यह इस बात से उपजा है कि हमारा समाज विफलता और इससे जुड़ी शर्म की भावना को किस तरह से देखता है, हालांकि तलाक एक विफलता नहीं है और शर्म कि बात तो बिल्कुल भी नहीं एक समाज के रूप में, हमें असफलता पसंद नहीं है, हम सिर्फ सफलता की कहानियां पढ़ना चाहते हैंऐसी कहानियां जो बाधाओं को पार करने, या सीमाओं को तोड़ने वाले व्यक्तियों की कहानियां हो लेकिन हम भूल जाते है कि जीतने से पहले इंसान हारता है, दौड़ने से पहले इंसान गिरता है सफलता कि कहानी हम सभी को प्रेरित करती है लेकिन विफलता की कहानी हमे सही रास्ता चुनने के बारे में बताती है
आप लोगों को ऐसे लेख नहीं मिलेंगे, जो एक असफल व्यवसाय या गलत विवाह से बाहर निकलने का रास्ता बताता हो या फिर लोगों को एक बेहतर रास्ता दिखाता होऐसा लोगों का मानना है कि एक विवाह जो समाप्त हो गया है वो विवाह या वो लोग असफलता को दर्शाते है लेकिन सभी का अंत असफल नहीं होता हैं और ऐसी बहुत सी चीजें है जिनका स्वभाव ही एक दिन समाप्त हो जानाजैसे में एक कॉलेज या हाई स्कूल स्नातक में पढ़ रहा बच्चा जिसने वहां पढ़ाई की शुरुआत कि है इसलिये किया है कि एक दिन वो उसे छोड़कर  आगे बढ़ेगा, इस स्थान का स्वभाव ही है समाप्त हो जाना नई नौकरी लेने के लिए नौकरी छोड़ना जो कि अधिक जिम्मेदारी या बेहतर वेतन प्रदान करता है और इसकी सराहना की जाती है क्योंकि यहां पर जो खत्म हो रहा है उससे बेहतर शुरू हो रहा है और कभी-कभी किसी चीज के खत्म होने पर ही कुछ बेहतर पाने कि उम्मीद करते है एक अच्छी किताब को यदि आप खत्म नहीं करना चाहते हैं toh बंद करने से आप निराश महसूस कर सकते हैं  लेकिन इसे खत्म करना शुरू करने की स्वाभाविक प्रगति है और ये भी इसी चीज को बताता है की किसी काम की शुरुआत करना मतलब किसी चीज का अंत करना होता है ठीक इसी तरह से एक शादी का समाप्त होना शायद दूसरे बेहतर रिश्ते को जन्म देने के लिये हो सकता है, इसका मतलब ये तो बिलकुल भी नहीं की तलाक विफलता कि निशानी है एक कहावत है,
कहीं पहुंचने के लिये कहीं निकालना जरूरी होता है
और ये शादी या रिश्ता का खत्म होना भी इसी के तरफ इशारा करता है

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

हमारे जाने के बाद फिर क्या?

  अपने विद्यालय के समय में किसी ने भी विज्ञान कि क्लास में ध्यान दिया है ? मैंने दिया है लेकिन ज्यादा नहीं , कुछ समय पहले किसी तरह से विज्ञान के द्वारा एक सच्चाई मुझे पता चली और अब मैं इसे मानता भी हूं । यकीन कीजिये मैं बुरे से बुरे हालात में भी बेहतर करने कि कोशिश कर रहा हूं , मैं एक सड़क दुर्घटना में पूरी तरह से टूट गया था और मै पूरे दस मिनट तक बेहोश रहा था , ये ऐसा वक्त था आप जिंदा भी रहते हुए मृत्य के समान होते है और आपको जीते - जी मौत का अहसास होता है । इस वक्त मुझे बाद में यह अहसास हुआ कि यादें काफी अद्भुत चीज है इस पल मुझे ऐसा महसुस हो रहा था कि मैं खाई के गर्त में जा रहा हूं और आप उस पल में खो जाते है जिसे लोग मौत कहते है । एक बात तो तय है कि जब मैं मरूंगा तो मुझे ये यकीन है कि ये मेरे लिये कुछ इसी तरह का झटका होगा क्योंकि मौत में दर्द नहीं होता है । मैं पास - आउट हो जाउंगा और मुझे कुछ पता भी नहीं चल...

मणिपुर में हिंसा थम नहीं रहा है

  मणिपुर में हिंसा थम नहीं रहा है और हिंसाग्रस्त मणिपुर के उपचार को मद्देनजर रखते हुए भारत के मुख्य न्यायाधीश(सीजेआई) डी.वाई.चंद्रचूड़ ने 7 अगस्त , 2023 को खुली अदालत में यह घोषणा कि सुप्रीम कोर्ट राहत कार्यों , पुनर्वास , मुआवजे और निगरानी के लिए उच्च न्यायालय के तीन पूर्व न्यायाधीशों जस्टिस गीता मित्तल , शालिनी फणसलकर जोशी और आशा मेनन की एक महिला समिति नियुक्त करेगा। न्यायमूर्ति मित्तल जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालय की पूर्व मुख्य न्यायाधीश हैं। न्यायमूर्ति जोशी बॉम्बे उच्च न्यायालय की पूर्व न्यायाधीश हैं और न्यायमूर्ति मेनन दिल्ली उच्च न्यायालय की सेवानिवृत्त न्यायाधीश हैं। शीर्ष अदालत ने इस ओर भी इशारा किया कि वह हिंसा के दौरान दर्ज मामलों की समग्र जांच की निगरानी के लिए महाराष्ट्र कैडर के वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी दत्तात्रय पडसलगीकर को नियुक्त करेगी , जिन्होंने एनआईए , आईबी और नागालैंड में काम किया था। मणिपुर में मई से जुलाई तक 6,500 से अधिक एफआईआर दर्ज की गई हैं। मणिपुर सरकार ने कहा कि वह मामलों की जांच के लिए 42 एसआईटी का गठन करेगी। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह छह अन्य...

IPL कि भारत वापसी

दुनिया लगभग अब कोरोना के मार से उबर चुका है , धीरे - धीरे सबकुछ अपने जगह पर वापस आ रही है। अब जब सबकुछ वापस आ रही है तो खेल किस तरह से दूर रह सकती थी , कोरोना के बाद जब से खेल वापस से मैदान पर लौटा है तो कई ऐसे नियम है जो बदल चुके है खेल हमेशा से लोगों के लिए एक बेहतरीन entertainer के तौर पर रहा है। हालांकि कोरोना के बाद खेल मैदान पर लौट तो गया है लेकिन अधूरा है क्योंकि अक्सर एक खेल को दर्शक पूरा करते है , स्टेडियम में रहकर दर्शक अपने - अपने टीम को सपोर्ट करते है और इससे खिलाडियों का उत्साह बढ़ी रहती है लेकिन कोरोना के बाद से ऐसा बिल्कुल भी देखने के लिए नहीं मिला है। बिना दर्शक के मैदान ठीक वैसा ही लगता है , जैसे बिना बालों का उजड़ा हुआ चमन या फिर ऐसा chicken बिरयानी जिसमें चिकन ही नहीं है बिल्कुल ही tasteless. अगर खेल एक dish है तो खिलाड़ी और दर्शक दोनों ही उस dish में पडने वाली ingredients, जो खेल को बेह्तरीन और मनोरंजक ...