Garbage mountain in Delhi
आपने कभी सोचा या सुना है कि कचरों से पहाड़ बन गया हो और फिर वो पहाड़ कुतुब मीनार कि उंचाई छुने वाली हो। कचरों का पहाड़ फिलहाल कुतुब मीनार से मात्र 8 मीटर छोटा है और ऐसा माना जा रहा है कि दिल्ली गाजीपुर स्थित कचरों का पहाड़ जल्द हि कुतुब मीनार से भी उंची होने वाली है। हालांकि ये पढना और सुनना थोडा अजीब है लेकिन ये सच है। गाजीपुर स्थित कचरापहाड़ अपने उंचाई के चरम सीमा पर है और इसके उंचाई के चर्चे पुरे दिल्ली में है। किसी पहाड़ कि तरह एकङों फैला ये कचरापहाड़,1984 में इस पहाड़ कि मतलब इस जगह कि निव रखी गयी थी
तब शायद कोइ ये नही जानता होगा कि रास्ते के बगल में बसायी गयी कूडों को ढेर(घर)
कभी विकराल कचरापहाड़ का रुप ले लेगी। 29 एकङ में फैला ये कचरापहाड़
यहां प्रतिदिन 2000 टन कूडा फेंका(डम्प) किया जाता है। पूर्वी दिल्ली के
सुपरिंटेंडेंट इंजीनियर का कहना है कि अगर यही स्थिति रही तो कूडे का यह पहाड़ जल्द
हि ताज महल से भी उंची होगी और हम में से कोइ भी ऐसा नही चाहेंगे कि ताजमहल=कचरापहाड़।पुरे
दिल्ली में ऐसे 3 जगह है जहां कूङो को डम्प किया जाता है; 1-गाजीपुर
2-ओखला 3-भलस्वा
एनजीटी(National Green Tribunal) ने लैंडफिल साइटों से कूडा हटाने के लिए दिल्ली सरकार
को 250 करोड रुपये जमें करने का निर्देश दिए है। इसके साथ ही सख्त चेतावनी भी दी है
कि अगर दिशा-निर्देशों का पालन नहीं किया गया तो किसी भी अधिकारी को सैलरी नहीं मिलेगी। एनजीटी अध्यक्ष जस्टिस आदर्श कुमार गोयल की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि
भलस्वा, गाजीपुर और ओखला लैंडफिल साइट में 2.8 करोड़ टन से ज्यादा कूडा पडा हुआ है। यह
आसपास के जमीन के पानी को दूषित कर रहा है और यमुना में भी पहुंच रहा है।
पूर्वी दिल्ली के सांसद गौतम गंभीर ने बैलिस्टिक सेपरेटर की शुरुआत पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर की है। इस प्रोजेक्ट से गाजीपुर लैंडफिल समस्या को खत्म किया जाएगा। मशीन चार श्रेणियों जैसे कंकड, कांच, प्लास्टिक और दो प्रकार की मिट्टी में अलग कर देगी, जिसका फिर से उपयोग किया जा सकेगा।
चलिए देखते इसे कितने दिनो में पुरा किया जाएगा या फिर हम सब जानते है।
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